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“हमारी सेना – हमारे फौजी”

My Thought
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जब भी अख़बार उतो तो एक खबर जरुर मिलती है की फलां जगह मुडभेड में हमारे इतने जवान शहीद हुए या किसी सैनिक ने मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो कर सवयं को व एक अन्य फौजी को गोली मार ली !
अब जब भी मुड्भेर का समाचार मिलता है तो हम एक दर के साथ यह ज़रूर देखते है कि कहीं कोई शहीद तो नही हुआ हर बार ये सुकून नही प्राप्त होता की हमारे जवानो में कोई हताहत नही हुआ! ये देखा गया है की तीनो सेनाओ में सबसे ज्यादा थल सेना के फौजी शहीद होते है क्योकि देश के गद्दार मैदानी जगहों पर ज्यादा घात लगाते है!……हमने ये गौर किया है कि हमारी तीनो सेनाओ में सबसे ज्यादा बेवजह हमारी वायु सेना के जवान अपना जीवन खोते है! हमे अपने ध्यान में कोई ऐसी घटना नही याद आ रही है जबकि हमारे दुश्मनों से मोर्चा लेने में वो शहीद हुए हो! एक-एक पायलट के पीछे सरकार का इतना पैसा लगता है और जो युवा हमारी सेनाओ में प्रवेश लेते है वो creamy layer होते है अर्थात वो स्वयं में बहुत मूल्यवान होते है! बौद्धिक और शारीरिक दोनों तरीके से स्वस्थ होते है!
जो लड़ाकू विमान होते है चाहे वह स्वदेशी निर्मित हो या विदेशो से ख़रीदे गये हो हमरे बजट का एक हिस्सा उस में भी खर्च होता है! आये दिन हम लोगो को सुनने में मिलता ही रहता है कि आज एक लड़ाकू विमान दुर्घटना ग्रस्त हो गया!
आज के समय में देश के युवा MNC नौकरियों कि तरफ भागते है तथा अगर कोई युवा इस ओर जाना चाहता है तो हर दिन कि खबरों के प्रभाव के परिणामस्वरूप माता-पिता भी उसे समझा-बुझा कर कोई professional course करवा देते है. जब इतनी धनराशी विमानों व पायलटो पर खर्च कि जाती है तो फिर क्यों इतने समय से उसकी कमी पर कोई ध्यान नही दे रहा है! न सरकार चेतती है न ही रक्षा मंत्रालय ही दबाव बनाता है! न कभी अपने युद्ध बंदियों कि खबर पर कोई ज्यादा ध्यान देता है ! अब तक तो जो कुछ साल पहले तक सुनते थे कि कुछ हमारे बंदी सैनिक है वो भी अब तक शायद अपना जीवन पूरा कर चुके होंगे !
जब कभी संसद कि बहस सुनो तो एक बार यह सोचना ही पड़ जाता है कि क्या वास्तव में ये हि लोग हमारा देश चलाते है फिर ‘अवसरों कि असमानता’ , ‘युवाओ में आपराधिक प्रवत्ति का बढ़ता प्रभाव’ , ‘भ्रष्टाचार’ , आदि गंभीर और नासूर बनते मुद्दे आखो के सामने आने लगते है, तो मन कह ही उठता है कि “‘यही’ लोग देश चलाते है”.
जो देश के मुख्य मुद्दे होते है वो तो किसी के एजंडे में आते ही नही और जो आ जाते है वह अपना रूप ही बदल लेते है यहाँ सिर्फ अपने फौजियों की बात कर रहे है क्योकि शायद ‘वोट’ का लोभ ना होने के कारण इस मुद्दे पर ना तो कोई चर्चा करता है ना वॉक आउट ! खुद ही देश को असुरक्षित कर रहे है और फिर भाषणों में बड़ी-बड़ी बाते करते है!
वेतनों कि इतनी असमानता कर रखी है! जहाँ नौकरियों कि कमी हो रही है तो पद समाप्ति कि उम्र बढा दी जाती है! जो जवान घर छोड़ कर दूर है उनको अच्छा वेतन दे ! मनोवैज्ञानिक रूप से उनकी मानसिक अस्थिरता को खत्म करने का प्रयास करे ! वैसे भी देश के दुश्मनों कि संख्या कि अपेक्षा हमारा सैन्यबल कम हो रहा है ! उसके लिए विशेष प्रयास किए जाये कि क्यों ऐसा हो रहा है?
जब कभी अखबारों में या T.V. पर उनको घने जंगलो व अन्य कठिनतम परिस्थितियों में बन्दूक ताने चलते देखते है तो ध्यान देने पर ये पाते है कि वो उतने ढके नहीं है जितना होना चाहिए , बहुत सी कमिया दिखती है ! उस में भी तब और दुःख होता है जब उनकी Bullet Proof कपड़ो में कोई घोटाला सुनते है ! देश कि विकास दर चाहे जितनी हो जाये लेकिन अगर देश कि सुरक्षा देने वालो पर ही उचित ध्यान न दिया जाये तो कितने दिन रुकेगी ऐसी प्रगति? …. जहाँ सैन्यबल में कमी आ रही है वहां आये दिन मानसिक अवसाद से त्रस्त होकर सैनिक आत्महत्या व दूसरे सैनिको कि हत्या कर रहे है आखिर क्यों इन बातो पर ध्यान नहीं दिया जाता है?
अगर राज्य स्तर पर सुरक्षा कि बात करे तो हमारे पुलिस वालो को ही देखिये , आज के अपराधियों कि अपेक्षा उनके अस्त्र ऐसे लगते है जैसे पुरातत्व कि खुदाई से निकले गए है! कितनी बार तो ये परिक्षण में धोखा दे जाते है ! जब वो घूस लेते है तो सोचते है कि उनका मूल्य ऐसे लगता है जैसे कोई रिक्क्षा वाले से मोल भाव कर रहा हो! उनकी जीवन शैली पर नज़र डाले तो देखते है की उनका जीवनस्तर इतना कम है की उनकी मूलभूत आवश्यकताओ की पूर्ती भी कुशलता से नहीं होती. राज्य स्तर पर सुरक्षा देने वाले क्यों ऐसा करते है उस पर भी ध्यान देना चाहिए , उनका वेतन बढ़ाना चाहिए और डंडे की प्रथा ख़त्म करके सबको हथियार उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि अपराधियों को ये महसूस हो कि “सरकारी ताकत” क्या होती है !
हमारा सुरक्षा तंत्र देश के विकास कि रीढ़ कि तरह है वो जितना स्थायी होगा उतनी ही देश कि प्रगति स्थायी हो सकेगी ! देश के दुश्मनों में खौफ पैदा करने के लिए देश के सुरक्षा कर्मियों को हर तरीके से मज़बूत करे, राजनितिक दल अपने स्वार्थो से ऊपर आकर एक व्यापक द्रष्टिकोण रखे! फ़िज़ूल के मुद्दों पर समय न बर्बाद करे , न अपनी पार्टी कि शक्ति दिखाने के लिए बड़े-बड़े जलसे आयोजित करके सरकारी पैसा बर्बाद करे और न व्यर्थ के पार्क व उद्यान लगाये ! जिस धन कि जहाँ जरुरत है वहां लगाये और जो उस धन कि प्राप्ति का मुख्य पात्र है .. वहां धन लगाये!
देश कि सेना को मजबूत करे ताकि वो विश्व कि सबसे ताकतवर सेना बने तथा लोगो में इतना विश्वास जगाये कि हमारे युवा M.N.C. कि नौकरियों कि जगह इस ओर भी आये और माता-पिता स्वयं भी अपने बच्चे को देश को समर्पित करे!

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