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college function था उत्तर रेलवे स्टेडियम में! हम ज्यादातर students प्रातः ८ बजे ही पहुच गये ! मेहमान ११:०० -११:३० पर आये थे! इसके आलावा और भी कॉलेज उस प्रतियोगिता में आये थे! .
प्रातः में हम से पहले भी कुछ लडकिया पहुच गयी थी ! हम लोगो ने आते ही वह काम किया जिसके कारण गए थे, जाते ही उपस्थिति लगवाई, धमकियों क साथ जो बुलाया गया था! अब उपस्थिति लगवाने क बाद हम सब लडकिया हमेशा की तरह गप्पे मारने लगी और हम भी हमेशा की तरह खोये-खोये, सोते-जागते बातो में शामिल थे!
वहा एक मैदान फैला था ठीक-ठाक बड़ा था ! एक तरफ चारदीवारी उठी थी, विपरीत दिशा में बैठने के लिए सीढिया बनी थी, एक दिशा में sports हास्टल था और मिला हुआ उनका changing room था जो उस दिन हमारी लडकियों के नाम था! hostel के लड़के उस दिन तो खुश हो गये होंगे ‘बंजर में हरियाली’ (“,) जो आ गयी थी!
उस खाली समय के बातो के दौर से हट कर, हमारा ध्यान वहां खेल रहे लोगो पर गया ! उस समय कई गतिविधियों में से एक फुटबौल का गेम भी चल रहा था! उस गेम में कुल १५ के करीब लोग शामिल होंगे! जिनमें से कुछ १६ साल के थे तो कुछ ४० के भी थे! उम्र का कोई बंधन नही था वहां और न आरक्षण का “खेल” जिस में जितना कौशल था वह उतना विजयी! मैदान में जाने से पहले बड़ी-बड़ी उम्र के लोग उस भूमि धूल को माथे पर लगा कर प्रवेश कर रहे थे! वह द्रश्य बहुत ही लुभावना लग रहा था!
एक चीज़ और जो सबसे अच्छी लगी वह यह कि वहां जो भी व्यक्ति जा रहा था वह अपनी ख़ुशी के साथ जा रहा था……….स्कूल-कॉलेजों कि तरह बेमन से कोई प्रवेश नही कर रहा था!…………..वहां ‘उपस्थिति’ का लालच नही दिख रहा था कि ७५% लगवाओ , यही उद्देश्य है स्कूल जाने का! ……….. कोई शिक्षक का डंडा नही हर कोई अपनी सामर्थ्य से बेहतर कर रहा था……………..अनुशासन का कोई दबाव नही क्योकि हर कोई अपने ‘प्रेम” कि तरह मन लगाये था! …………. वहां प्रवेश करने वाले वाले हर व्यक्ति के चेहरे पर शान्त और संतुष्टि का भाव था!, हम लोगो कि तरह बोझिलता नही थी !
वहां केवल वही लोग थे जो उस जगह कि सार्थकता को बढ़ाते है! हर कोई वहाँ अपने इश्क, प्यार, gf / bf के साथ कि तरह खुश थे! हमारी नज़र में हर किसी को किसी Professional या अन्य Degree के साथ कोई न कोई अपना एक पसंद के काम को चुनना चाहिए और उसको भी थोडा समय जरुर देना चाहिए क्योकि किसी की असली सामर्थ्य व बुद्धि ऐसे ही पता लग सकती है….
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