- 63 Posts
- 490 Comments
जब भी जिस वर्ग को ज्यादा दबाया जाता है..तो वह कभी न कभी अपना बदला लेने के लिए उठता ही है! यही हुआ आदिवासी व कृषक समाज के साथ और जन्म हुआ “नक्सलवाद ” का ! नक्सलवाद आज भारत की आंतरिक समस्याओ में से एक है ! आदिवासी लोगो का अपना जीवन जीने का एक अलग तरीका है , उनके अपने माध्यम है .. जब वो उनसे छीने गए व उनके जीवन जीने के तरीको से वंचित किया गया तो उन्होंने उसका विरोध करना शुरू किया गया ! आज के समय में स्वार्थी, लोभी लोगो की कोई कमी नही है इसलिए इनके प्रभाव से ये आदिवासी वर्ग भी अछुता नही रह सका ! ये लोग पहले सिर्फ इतनी इच्छा रखते थे की इनको इनके खेत व ज़मीने मिल जाये पर धीरे-धीरे इनकी संख्या को देखते हुए कुछ लोगो ने अपने उल्लू साधने शुरू किए ! इन लोगो की नज़र अब सत्ता हथियाने की हो गयी!
जिस तरीके से अब ये लोग खूनी खेल रहे है वो सब ही को दिख रहा है! कोई भी नेक इंसान अपने आधिकारो को पाने के लिए दूसरे लोगो की लाशे नही बिछा सकता, वो भी उन लोगों की जिनका इस समस्या से कोई सम्बन्ध नहीं था! जिस तरीके से आये दिन पुलिसवाले व अर्धसैनिक बल के जवान धोखे से मारे जा रहे है यह उन नक्सलवादियो की कायरता को दर्शाता है ! ये हमारे आंतरिक दुश्मन व आतंकवादी बन गए है ! जिनके बारे में सोच कर पहले सहानुभूति होती थी अब उनके लिए सिर्फ गुस्से के , बद्दुआओ के और कुछ नहीं निकलता!
ऐसी समस्याओ की दोषी सरकारे भी होती है चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की ! ये लोग ऐसी समस्याओ में ईधन का काम करते है ! जब इतिहास बताता ही है की, जब-जब किसी बात की अति की जाती है तो उसके विरोध के स्वर मुखर होते ही है ! जब कोई समस्या पैदा होती है तो उसे उसी समय खत्म करने का प्रयास नही किया जाता वरन “अरे छोड़ो , देखा जायेगा” की सोच अपनायी जाती है ! जब गाँव में उनकी मूलभूत आवश्यकताओ की पूर्ती ही नही की जाती है तो भला कैसे, समय पर उनके सहयोग की अपेक्षा की जाये ! चाहे आवागमन के लिए पुल बनाने की बात हो या खेतो या फसलो को उन्नत करने की.. कृषक वर्ग स्वयं ही सब से निपटता रहता है ! भरोसा आये तो कहाँ से? हाल ही के नक्सल हमले में बड़ी संख्या में सैनिक शहीद हुए ! गौर करने वालो ने सोचा ही होगा की ये सब गलत सूचना के कारण हुआ था ! जिसने भी ऐसा किया उसे न तो प्रशासन का डर था न ही देश से प्रेम ! ये बहुत गंभीर बात है की एक झूटी सूचना से इतना बड़ा नुकसान हुआ!
केंद्र सरकार को चाहिए कि वो राज्य सरकार से जवाब मांगे व स्वयं भी हर तरीके कि मदद करे तथा उस मदद का पूरा विवरण सार्वजानिक रखे ताकि कोई भी सरकार इसमे कुछ छिपा न सके ! राज्य के अन्दर राज्य सरकारे उस area के विधयाको व स्थानीय राजनीतिको से सम्पर्क रखे तथा विवादित areas को सर्वप्रथम मूलभूत आवश्यकताओ से पूर्ण करे ! जिस प्रकार से किसी भी हमले के बाद वहां के I.P.S. व I.A.S. अधिकारियो पर गाज गिरती है वैसे ही वहां के राजनीतिक प्रतिनिधित्त्वो पर भी गाज गिरे ताकि वो सवयं से इन जगहों कि समस्याओ में रूचि ले तथा सही समय पर समस्याओ का निदान करे , हर गतिविधि पर कई स्तरों से नज़र रखी जाये तथा समय-समय पर वहां के मुख्यमंत्री को भी अवगत कराए !
Read Comments