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ये अंतर्द्वंद जीवन को कितने मोड़ देते है!साधारण जीवन को कठिन और कठिनाइयों को आसान कर देता है! एक बार विचारो को अलग रूप देता है फिर कुछ शण बाद कुछ और दिशा देता है! कितनी बार कुछ मुद्दों पर जिनके निश्चित निष्कर्ष न निकल रहे हो वह इन विचारो के द्वंदों में से निकल तो आते है पर फिर शायद दिल और दिमाग के कहासुनी के बीच फस कर फिर उलझ जाते है!
किसी भी रिश्ते में समझौता और समझ कितनी महतवपूर्ण भूमिका रखते है यह इन अंतर्द्वंदो से ही पता चलते है! दिल और दिमाग के बीच समझौता न होने से ही अंतर + द्वन्द होते है ! समझ नही आता के निश्चित निर्णय न लेने के कारण ऐसा होता है या वास्तव में कुछ मुद्दे उलझे ही रहना चाहते है शायद ये मुद्दे उलझ कर हमारे विचारो को दिशाहीन इअलिये करके रखते है ताकि हमको ये अहसास रहे कि हम मनुष्य है कोई दैवीय व्यक्ति नही जो हर बात को अपने हाथ में रख सके!
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