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” इच्छा मत्यु “

My Thought
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” इच्छा मत्यु ” , ये शब्द, कुछ समय पहले, कुछ दिन तक अखबारों में छाया रहा था ! नाम से ही स्पष्ट हो रहा है इसके पीछे का अर्थ, जो मत्यु हम अपनी मर्ज़ी से अपनाये ! इसमें condition ये आती है कि, कारण कोई लाइलाज व कष्टदायी बीमारी ही हो ! अन्य कोई पारिस्थितिक कारण स्वीकार्य नही है !
बहुत विवादित सा रहा है यह मुद्दा, कुछ पक्ष में है तो कुछ विपक्ष में ! हम(मैं) अपनी बात करे तो हम पूर्णतः इसके समर्थन में है ! थोड़ी निर्दयी और असंगत बात लगे लेकिन हम सिर्फ इच्छा मत्यु लाइलाज बीमारी के लिए ही नहीं बल्कि किसी भी शारीरिक बीमारी के लिए मांगते है! यह line पढ़ते ही तुरंत प्रश्न – उत्तरों का सिलसिला आपके मन में भी शुरू हो गया होगा ! शारीरिक कमी का स्तर किसी में कम तो किसी में ज्यादा पाया जाता है ! पर समय – समय पर एक अटपटा सा व्यवहार सदा समान रूप से पाया जाता है ! कहने को कई बार जो लोग स्वयं से ऐसे लोगो का विश्वास जगाने का प्रयास करते है , वो भी अनजाने में ही सही लेकिन उनको असामान्य महसूस करवा ही देते है! हमारे मत में जैसे ही कोई शारीरिक कमी किसी बच्चे में दिखे तो उसके माता-पिता को बिना भावनाओ में बंध कर उसे मार देना चाहिए क्योकि बड़े होकर उसे इतनी समस्याओ से गुजरना पड़ेगा के वो स्वयं भी यही चाहेगा ! कुछ लोगो कि जिजीविषा बहुत मज़बूत होती है और वो अपना जीवन जीना चाहते है उन्हें पूरी स्वत्रंता है ! पर जो जीवन जीने से ज्यादा काट रहे हो उनके लिए इच्छा मत्यु का अधिकार मिलना चाहिए !
बड़ी-बड़ी और आदर्शवादी बाते करना अलग चीज़ है और स्वयं उससे दो-चार होना अलग ! उनकी कठिनाइयों और हमारे विचारो को समझना हो तो एक दिन अपनी चाल में परिवर्तन कर लीजिये और देखिये वही दुनिया , वही लोग एक नए अंदाज़ में , जो नज़रो के तीर आपको चुभाये जायेंगे तो सारे अपने आदर्श वाक्य स्वयं आपको समझ आ जायेंगे .. और हमारे भाव भी!
सहानुभूति और दया के बोझ तले स्वाभिमान दब जाता है! हर दिन एक नयी लडाई के लिए खुद को मज़बूत करना , दम घुटता है ! बहुत बार आद्रश्य हो जाने कि इच्छा जाग्रत होती है ! कई इच्छाओ को समर्थ हो कर भी असमर्थ होने के कारण पूर्ण न होने से या स्वयं ही खुद को उड़ने से रोकते-रोकते मन किसी निष्क्रिय व निर्जीव के समान ही बन जाता है !

बेहतर हो कि जिनको इन conditions में प्रसन्नता मिलती हो उन्हें जीने का और जो इन conditions के साथ जीवन को रेंग-रेंग कर , समझौतों के साथ जीने में असमर्थ हो उन्हें ” इच्छा मत्यु ” का अधिकार मिले!

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