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दुनिया दिन पर दिन आगे भागती जा रही है, हम सभी आगे भाग रहे है! उसके घर में एक चीज़ आई तो हमारे घर में भी आ गयी, उसने वहां घर लिया तो आप भी अपनी कोई सम्पत्ति बनाने के लिए सोचने लगे, आप की चादर में संभव हुआ तो आप भी खरीद लिए और अगर नही तो सामने वाले को देखकर जलन से भर गये! इतने प्रयास, इतनी कोशिशे क्यों?? क्योकि …. भाई समाज में प्रतिष्ठा कमानी है की नहीं ?…
प्रतिष्ठा……. प्रतिष्ठा , ऊचा कद , सम्मानित व्यक्ति बनने का हर कोई प्रयास करता है और हर संभव प्रयास करता है! बराबर वालो से ही सम्बन्ध बनाते है , अपने से ऊँचे लोगो से सम्बन्ध बनाने की कोशिश में लगे रहते है ! ये ज्यादातर आम जन की सोच है ! इसी क्रम में कुछ फायदा आज की हम लडकियों को भी मिला है ! आज हर कोई अपनी बेटी को पढ़ा-लिखा रहा है ! उसकी अच्छे घर में शादी हो इसलिए भी अपने पैरो पर खड़ा करवाया जा रहा है ! अब ज्यादातर परिवार ऐसा कर रहे है.. पर.. पीछे का छिपा कारण भिन्न-भिन्न है … कुछ ऐसा इसलिए करते है ताकि उनकी बिटिया किसी की मोहताज न रहे ! लेकिन बहुत से लोग इसलिए करते है क्योकि उनकी प्रतिष्ठा की बात होती है , Status Maintain करने के लिए और status वाले घरो में लडकिया ब्याहने के लिए! आज अपना अहं कायम रखने के लिए बहुत से परिवार इतने crazy हो गये है , पागल हो गये है की उनको उन्ही का ‘खून’ नही नज़र आ रहा ! बात कर रहे है “”Honor Killing”” की! Killing के साथ Honor जोड़ क्र अपने पापो को नही छुपाया जा सकता ! किसी का जीवन इसलिए ले लिया जाता है क्योकि आपकी मर्ज़ी से वो काम नही हुआ ! मारने का हक इस बात से क्योकि आपने उसको पाल-पोस के बड़ा किया है , आप ही के तो बलबूते वो समाज में रह रहा है ! गौर से सोचे तो यदि ऐसे बच्चे अपने माता-पिता की असली संतान नही है तो ऐसे माता-पिता भी असली माता-पिता नही है ! जो व्यापारी की तरह अपना मुनाफा और नुकसान देखे वो Parents किस रूप में कहलायेंगे! अगर संस्कृति का चोला ओढ़ कर अपना बचाव किया जाता है, तो ये तो हमारी संस्कृति नही है! अगर ऐसा होता तो ‘गन्धर्व विवाह’ की अनुमति हमारे शास्त्रों में नही दी जाती ! प्रभु कृष्ण ने भी रुक्मणी से विवाह उनकी इच्छा से किया था , परिवार की नही! संतान अपना जीवन कितनी प्रसन्नता से जीएगा इससे मतलब नही है आप कैसे प्रसन्न रहेंगे ये सोचा जाता है!
ऐसा नही है की घर से भाग कर शादी करने के cheap style का हम समर्थन करते है पर ये सच ही तो है के अपने प्रेमी/ प्रेमिका के साथ से ज्यादा आप की संतान ने आपके साथ समय बिताया है , अपनी उम्र बितायी है ! अगर खुद से उसने आपको priority नही दी है तो निःसंदेह आपने ही upbringing में कोई कमी की है ! हर व्यक्ति पर उसके परिवार का प्रभाव पड़ता है ! अगर हम (मैं ) अपना जीवन ईमानदारी के साथ बिताने को संकल्पबंद्ध हैं तो इसका कारण हमारे पिता जी की ईमानदारी है जो की उन्होंने जतायी नही कभी , बल्कि हमने स्वयं से देखकर और समझकर अपनाई है!
आज – कल जो लडकियों के जीवन का अभिशाप है वो है दहेज़ की समस्या उसको जड़ से खत्म करना है तो “प्रेम विवाह” और “जाति बंधन” से बाहर आना ही पड़ेगा ! संतान जीवन भर समझौतों के साथ जीवन जिए वो मंज़ूर है , आपकी बिटिया जला के मार दी जाये वो मंज़ूर है लेकिन आपकी शान में गुस्ताखी न करे ! ससुराल में यदि कोई लड़की खुश नही है , सम्मानित नही है .. तो हमे नही लगता के माता-पिता को कभी शांति मिल पाती होगी तो क्यों अपनी पसंद का जीवन नही जीने दिया जाता???
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