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कुछ motto और उद्देश्य वाक्य..हम युवाओ के ….

My Thought
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“Be Practical” , “Have some Attitude man.”…. कुछ motto और उद्देश्य वाक्य है ये हम युवाओ के ! Modern शब्द का अर्थ ढूंढो तो २ व्याख्याए सामने आती है – एक तो Modern का अर्थ होता है पुरानी व परेशान करने वाली मान्यताओ को छोड़ कर वर्तमान समय के लिए उपयुक्त मान्यताओ के लिए उन्मुख होना ! दूसरे अर्थ में आता है या दूसरा अर्थ लिया जाता है की जो आदर्श गोरी चमड़ी वाले यानि अंग्रेजो के है उन्हें अपनाना ! उनके व हमारे संस्कारो , तहजीबो , मूल्यों , मान्यताओ में कितना अंतर है इसको कोई महत्व नही दे रहा है ! उसने एक तरीका अपनाया है तो मैं दो अपनाऊ , यही अंधी दौड़ में सब दौड़े जा रहे है ! यहाँ कुछ ऐसी ही बाते उल्लेखित है –
-> शराब जैसी चीज़ जो अच्छी नही मानी जाती थी अगर अच्हे घर का कोई लड़का ऐसा करता था तो सब से छुप के लेकिन अब तो भाई modern बनना है न .. तो जैसे विदेश में सबके सामने बिना हया -शर्म के ये शौक पूरा किया जाता है किया जाता है आज हमारे यहाँ के युवा भी करने लगे है ! कुछ कहो तो जवाब आता है “ऐसा नही करेंगे तो पीछे रह जायेंगे” , ” करना पड़ता है यार मजबूरी है”… new trend में आ गया है की ” ये भी कोई life है जब smoke & drink न करे! ” So called Modern Families में पिता – पुत्र सब साथ में ड्रिंक करते है ! तर्क ये होता है की जब सब पता ही है की दोनों लोग drink & smoke करते है तो छुपाने की क्या जरुरत ? जरुरत तो किसी चीज़ की नही है हमारे मानने या न मानने से, कहने को तो कुछ फर्क नही पड़ता पर इंसान और वनमानुष में अंतर ऐसे ही होता है के जब हम शर्म, लिहाज़ जैसे गुणों को रखते है ! अगर खुद ही ऐसे काम किये जायेंगे तो आगे की पीढ़ी और कितनी बर्बाद निकलेगी कहने की कोई जरुरत नही…!

-> आज का एक चर्चित शब्द है “Practical” ! साल दर साल ये शब्द भी बहुत ही modern n respected शब्दों में आ गया है ! व्यक्ति अपने मूल स्वभाव दया, सहानुभूति , प्रेम , समर्पण , विशवास सब भुला देता है ! इस एक शब्द Practical की आड़ में ! लोग गलत बात को देखते हुए भी नही बोलते वो अपनी ‘कायरता’ को छुपाने के लिए कहते है की ‘ मैं अपनी Priorities देखूंगा क्योकि यही practically सही है !’ पहले अपना लाभ देखते है , क्योकि आज का समय Practical बनने का है !
…. प्रेम एक ऐसी भावना जो सब भूलती आई है कायर को वीर , Rigid को polite , ‘मैं’ से ‘हम’ की भावना भरने वाला प्रेम भी इसे अछुता नही रहा है ! आज युवा उसी से प्रेम करते है जो Socially , Economically हर area में उनके समकक्ष या बेहतर हो ! ऐसा नही है की हम इस सोच से जुदा है बल्कि स्वयं हम भी ऐसे ही है .. पर चुकी स्वभाव में एक विचारवान प्राणी घूमता रहता है जो समय-समय पर हमे स्वयं भी इस “Be Practical” की theory से दूर करके मन की आवाज़ सुनने पर बल देता है !
….समझ नही आता के ऐसी व्यापारियो वाली सोच उचित है या अनुचित ! दिल से ज्यादा दिमाग का प्रयोग पता नही कहाँ ले जा रहा है !….. कहीं-कहीं तो ऐसी सोच हमे सही दिशा की और प्रशस्त्र करती है , तो कभी -कभी खुद ही को ऐसा लगता है की कभी तो कोई बिना ऐसी स्वार्थी , आदान-प्रदान वाली सोच के , निष्कपटता व निस्वार्थ भाव से सम्बन्ध बनाये !

-> एक शब्द और है जो हम युवाओ में सबसे modernity दिखाने वाला शब्द है वो है “Attitude” ! ……. सभी प्रकार की बत्मीज़िया , अभद्रता , घमंड , दंभ सबको इस शब्द से अब ढाका जाता है ! आज ज्यादातर युवा बड़े – छोटे का लिहाज़ , हर सम्बन्ध का लिहाज़ सब भूलते जा रहे है और झूटी तसल्ली देने के लिए इस बुरे स्वभाव को ढक देते है , यही कह के की – ‘Its my Attitude….. Man’
इस अहं की भावना का कारण बचपन से भरी गयी इस सोच के कारण भी होता है की बस सफल और धनवान बन जाओ लोग तुम से सम्बन्ध बना लेंगे ! एक बात और है जिससे हम असहमत रहते है और वह यह बात है की बचपन से ही माता पिता , बड़े लोग .. सारे संबंधो , उम्र के अनुकूल इच्छाओ को सबको यह कह कर भूलने की कोशिश करवाते है कि अभी पढ़ लो इन सब बातो के लिए तो उम्र पड़ी है ! सारे सम्बन्ध और सामाजिकता सब बाद में ! देखा जाये तो अच्छी ही बात है सारा ध्यान, एकाग्रता सब पढाई में और अच्छी पढाई से अच्छी नौकरी और भाई अच्छी नौकरी वालो कि ही तो पूछ होती है … पर हमको ऐसा लगता है कि इस वाक्य के प्रभाव स्वरुप अज-कल के हम बच्चे भी यही सोच रखते हुए आगे बढ़ते है , बताते चले कि हमारे पापा ने भी हमे यही सब सीखे दी थी और हमने भी यथा संभव इसी का पालन किया है पर अब हमे ये लगता है कि आज के इस Insensitive युग का कारण भी यही सोच है क्योकि हमेशा सीमित दायरे में रहते-रहते ही अज-कल का youth स्वार्थी और “मैं” में रहने वाला हो गया है ! एक निश्चित परिधि में सिमटे रहने कि आदत पड़ गयी है अब सब को !
.. मन तो चंचल ही होता है एक जगह से हटाओगे तो दूसरी जगह जायेगा ! इसीलिए आज जब बच्चे अकेले होते है, वही पढाई- Tuition से उकता गये होते है तो मन को कुछ नया देने के लिए वो घर के अन्दर उपलप्ध साधनों का प्रयोग करने लगते है जैसे – T.V. , Computer , Internet ! आज-कल के एकल परिवार में माता-पिता धन कमाने में ही लगे रहते है , क्योकि अच्हा स्कूल , अच्छी पढाई के लिए ‘अच्छा’ धन भी चाहिए होता है और Career बनाने के लिए इतना धन वो लगाते है , तो सोचते है कि हमारा बच्चा सिर्फ लगाये हुए धन को सार्थक कर दे ! बच्चे और माता – पिता दोनों ही अपनी-अपनी जगह सही है पर तरीके गलत है ! growing age क बच्चे अपना मनोरंजन गलत तरीके से ग्रहण करने लगते है! T.V. , Computer , Internet से वो एक virtual दुनिया महसूस करते है ! समाज में घुलमिल कर अगर आगे ले जाया जाये तो भी वो पढाई में उतना ही मन लगायेंगे जितना अब लगाते है , पर लोगो के संपर्क में आने से उन में मानवीय तत्त्व ….. प्रेम . सहयोग . आदर , सत्कार के गुण जो स्वतः प्रेरित ही होते है, आते है ! असली और पूर्ण सफलता तो तब ही मानी जाएगी जब आप सिर्फ धन से ही नही .. व्यवहार से भी धनी हों ! सफल तब ही कोई बन सकता है जबकि वो सफल मानव बने…..!

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