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“जनता के सेवक”…८०,००१ के लिए लालच नही दिखाते है

My Thought
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हाल ही में हमारे प्यारे सांसदों के वेतन में वृद्धि हुई! जितनी तेज़ी से मांगे स्वीकार हुई उससे देख कर पता चलता है की ‘एकता में कितनी शक्ति होती है’ और ‘द्रणप्रतिज्ञा होने पर कितनी जल्दी सब संभव हो जाता है’ ! हमारे संविधान में जब देश के सांसदों व विधायको की बात सोची गयी थी तो तो कुछ ऐसा सोचा गया था की सामान्य जनता की एक आवाज़ के तौर पर किसी की नियुक्ति हो जो जो सामान्य जनता और सरकार के बीच की दूरीया खत्म करे! आज आलम यह है की कुचलते-कुचलते मन में इतना विद्रोह भर गया की सामान्य जनता में से ही एक वर्ग नक्सलवाद के रूप में जन्म ले गया और आज ऐसे कई वर्ग देश को कितना खोखला कर रहे है ये रोज़ अखबारों में दिखता ही रहता है ! आरक्षण- आरक्षण कहके ढोल पीटा करते है पर असली शोषित वर्ग को देख नही पाते! जनता के बीच से ज्यादातर लोग बाहुबल और दाव-पेंच करके यहाँ तक पहुचते है “जनता के सेवक है”, कह कर ! सेवक ८०,००१ के लिए लालच नही दिखाते है! वेतन के अतिरिक्त इतने भत्ते पाते है, सुविधाए पाते है तब भी कमी महसूस करते है ! आज अगर सरकार का पैसा सभी सांसद और विधायक सही जगह लगाये होते तो आज हमारा देश विकसित देशो के समकक्ष खड़ा होता! आज गाँव के स्कूलों में शिक्षक नही है, अस्पताल नही है , अस्पताल है तो डोक्टर नही है बिजली नही है , पानी नही है, सड़क नही है, स्थानीय लोग स्वयं पुल बना कर नदी पार कर रहे है , उबाद-खाबड़ सडको से गिरते-पड़ते निकलते है, कोई भी बाहुबली किसी को भी घर से उठा लेता है , न्याय की अव्यस्वय्था के कारण ही लोग हाथ में कानून लिए फिर रहे है ! और ऐसा भी नही है कि भारत सरकार के कोष से पैसा नही निकलता ! पैसे का प्रयोग देखना होतो इन प्रतिनिधियों के घर जाइये , अन्दर नही जा सकते तो कोई बात नही बाहर ही घूम आइये ! अगर गली में पुराना वाला घर है तो पानी रोधी पैंट दीवारों पर चमकता हुआ पाएंगे, और एक आलिशान कोठी पूरे कार्यकाल शहर के Posh area में बनती मिलेगी ! साधरणतः ऐसे लोगो के drawing room खुले ही रहते है तो मौका मिलते ही झलक ले लीजियेगा शानदार सोफा और well maintained room पाएंगे , घर से मिली हुई सड़क साफ़-सुथरी और सपाट ही पाएंगे और हाँ एक बोलेरो या स्कॉर्पियो दरवाज़े पे ज़रूर दिख जाएगी !
……….सबसे हास्य और साथ ही थोडा क्रोध तब आया जब हमने सांसदों की वह बात सुनी जिसमें उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियो से 1rs ज्यादा की मांग की थी! ज्यादातर सांसद धन-बल से वहां पहुच जाते है इसलिए उन्हें पता नही की कितना सती होना पड़ता है इन अधिकारियो को अपना पद प्राप्त करने में ! अपनी सुध नही रहती है क्योकि उन्हें एक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बनना होता है! जिनके घर छोटे होते है उन घरो के प्रतिभागियों का अध्ययन कक्ष उनके कमरे की टांड भी बनता है , लोग घर से दूर होकर पढाई करते है ताकि उन्हें एकाग्र होने में परेशानी न हो , नींद न आ जाये इसलिए आँखों पर वैसलीन लगा कर पढ़ते है , न खाने का होश रहता है न पीने का , घर, परिवार, रिश्तेदार सबसे कट जाते है तैयारी करते-करते इतने परिश्रम के बाद ही वो उस पद पर पहुचते है ! उस पद पर आने के बाद उनको जो सुख – सुविधाए मिलती है वो उसे deserve करते है ! By Luck नही आ जाते है ! जब भी कोई घटना घटित होती है तो वो ही ज़िम्मेदार होते है , जवाबदेह होते है ! गलती होने पर तुरंत स्थानांतरण से जूझते है ! जिले की शांति के प्रयत्न में सदा रहते है ! अगर वो ऊँची तनख्वाह पाते है तो वो अधिकार रखते है, वो उसके योग्य है ! और अगर वेतन वृद्धी करनी है तो भारतीय सुरक्षाबलों की करे ताकि उनका मनोबल ऊचा हो और उनके परिवार को सबलता मिले, जो शहीदों के परिवार वालो से वादे किये गये है उन्हें पूरा करने पर ध्यान दिया जाये………………………………

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