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अथिति देवो भवः – कॉमन वेल्थ गेम्स

My Thought
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दिल्ली देश का दिल देश की राजधानी यानी एक अहम् पहचान देश की , एक केंद्र शासित प्रदेश ! इतना मान-सम्मान के बाद वहां की सरकार ने जो कॉमन वेल्थ गेम्स की अपूर्ण तैयारियों द्वारा जो शर्मिंदगी दे रही है , उससे सभी लोगो को बहुत बुरा लग रहा है ! आम आदमी जो पहले ही हमेशा अपने Inferiority में डूबा रहता था वो अब और नकारात्मक बाते करता हुआ पाया जा रहा है. अब अगर क्लास में marker जैसी छोटी चीज़ भी खराब काम करती है तो मज़ाक में कहा जाता है क्लास तो कॉमन वेल्थ गेम्स हो गया है यहाँ सब ‘चलता’ है !
हम अपनी सेना पे बहुत फक्र करते है और इसने ५ दिन में एक महत्वपूर्ण ब्रिज निर्माण करके जो हमारी मेजबानी की साख बचाने की जो कोशिश की है उससे हम तो और ज्यादा रोमांचित हो गये ! वहीँ तुरंत एक खबर समाचारों में देखी के शीला दीक्षित जी ने यह statement दिया है की सभी मेहमान अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करे ! तो यानी जब मेहमान आये तो अपना ताला चाभी ले के आये कितना funny seen होगा जब competition में भाग लेते समय खिलाडी अपने साथियों से कहेंगे ‘ओये, तूने जूते अन्दर रख दिए थे’ , ‘मोबाइल छुपा क रखा है न’ , ‘bags में चाभी तो मार दी’ !!
वैसे भी इस सरकार ने कोई अच्छा प्रदर्शन इस प्रतियोगिता में तो दिखाया नही है , उस पे ऐसी बाते करके और बदनामी करा रही है ! एक तरफ ये कहा जाता है की सुरक्षा इतनी मजबूत है की परिंदा पर नही मार सकता दूसरी तरफ से खुद ही लोगो को सोचने को मजबूर कर रहीं है की जब ‘छोटे चोरो’ से ही हारी है तो “बड़े चोरो” से कैसे निपटेगी सरकार ! हर स्तर की ज़िम्मेदारी हमारी सेना की नही है ! सुरक्षा को ले कर वैसे ही विदेशी मेहमान इतने डरे है ऐसी बातो से उनपर और कितना नकारामक असर पड़ेगा ! ऐसा ही गैर- जिम्मेदाराना कथन शीला दीक्षित जी का हमे तब भी लगा था जबकि एक delhi girl के साथ दुर्व्यवहार पर उन्होंने इसके लिए स्वयं लडकियों को ही दोषी ठहराया था ! हमे लगता है किसी देश की प्रगति इस बात से ही दिखती है की वहां की महिलाओ को कितनी सुरक्षा और स्वत्रंता प्राप्त है ! अच्छा हुआ वो किसी और राज्य की मुख्यमंत्री नही है वरना जिलो की सुरक्षा स्थानीय लोगो को सुपर्द करके कहती ‘भाई ये हमारे बस का नही है’ ! कुछ दिन में कॉमन वेल्थ गेम्स शुरू है अभी तक न सड़क तैयार है, न सांस्कृतिक कार्यक्रम सही से निर्धारित है , वो पुल सेना के हाथ में न जाता तो वो भी अभी तैयार नही होता और वो पूरा हो भी नही पाता ! देरी के लिए जैसे बारिश को भी ढाल बनाया गया था वैसे ही इसके लिए भी एक बहाना बन ही जाता ! :
खेल गाँव में सफाई की शिकायते , अथितियो के स्तर पर सुविधाओ का अभाव !
जब अनिश्चित कार्यक्रमों की खबरे सुनते है तो हम सोचते है जब talent shows में इतने दांतों तले अंगुलिया दबा लेने वाले प्रदर्शन दिखाई देते है जिसमें कई लोक नृत्य व पारंपरिक कलाए नज़र आती है जो हमारे देश की बहुमुखी प्रतिभाओ का परिचय करवाती है तो क्यों नही ये विभाग का ज़िम्मा लिए लोग इन लोगो से संपर्क करके इनसे कार्यक्रमों की शान बढवाए ,… जब रहने व hospitality provide करने से सम्बंधित कमियों की खबर पढ़ते है तो मन में आता है की जब अगर नही समझ पा रहे हो की कब और कैसे क्या करना है तो टाटा जैसे लोगो से क्यों नही मदद ले ली जाती है जिनके यहाँ कुशल प्रबंधन अधिकारी अपने कौशल से मेहमानों की मेहमान नवाज़ी करे ! हमे नही लगता की जब देश के गौरव की बात आती है तो कोई भी जागरूक व्यक्ति चाहे वो नामी शख्सियत हो या आम आदमी कोई भी पीछे न तो कभी हटा है और न ही हटेगा !
कभी-कभी ख्याल आता है की ये मेहमान , भारत में खुद को superior दिखाने के लिए , भाव उचा करने के लिए तो इतने नखरे नही दिखा रहे ! पर जो भी हो हम सभी भारतीय यही चाहते है की वो हमारे देश से प्रसन्न हो के ही लौटे !

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