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J&K- भारत के हर राज्य की पहचान भारत से है और भारत की पहचान उसके ‘सभी राज्यों से है’

My Thought
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अभी ‘भारत की राजधानी में ही’ एक शीर्ष अलगाववादी नेता ने कश्मीर को भारत का अंग नही माना और उनके सुर में सुर मिला रही थी एक तथाकथित बुद्धिजीवी , तथाकथित इसलिए क्योकि वो ये भूल रही है की विश्व में कहीं भी उनकी पहचान जानी जाएगी तो एक भारतीय के रूप में ही , वह स्वयं में कुछ भी सफलता अर्जित करले , वो क्या ये बात हर उस व्यक्ति पर लागू होती है जो भारत में रहता है , उसकी पहचान भारत के बाहर भारतीय के ही रूप में जानी जाएगी ! ऐसी वो एक ही हस्ती नही है उनके जैसे और भी कई लोग या कहे की extra बुद्धिमान लोग भी है जो भारत की नागरिकता के बलबूते विश्व में पहचान बनाते है ! वो अपने Right to Freedom का तो भरपूर लाभ उठाते है और भरपूर प्रयोग करते है पर अधिकारों के साथ भारत के सविंधान में वर्णित अपने कर्तव्यों से आँख चुराते है अधिकारों के साथ कुछ कर्त्तव्य भी है , मसलन –

– भारत के प्रभुता , एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण बनाये रखे
– देश की रक्षा करे
– भारत के सभी लोगो में समरसता और सामान भ्रातत्व की भावना का विकास करे
– हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा (यानी अनेकता में एकता ) का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे !

ये संविधान में लिखित कर्तव्यों में से कुछ कर्त्तव्य है जो उन जैसो पर सटीक बैठते है !
भारत में कितनी समस्याए है और ज्यादातर जख्म अपनों से ही मिले है ! बाहर वालो से लड़ना इतना मुश्किल नही जितना अपनों से लड़ना मुश्किल होता है !
अगर बात करे कश्मीर की तो , २ मत है वहा , एक उसको पाक में विलय के रूप में देखता है तो दूसरा एक अलग देश के रूप में ! हमारे मत में , अगर उनकी बात सुन के एक अलग देश बना भी दिया जाये तो भी वहा शांति संभव नही क्योकि अशांत लोग भारत से नही भारत के बाहर से होते है ! अभी कश्मीर भारत का अंग है इसलिए एक विकासशील होते हुए भी विकसित देशो में अपनी पहचान बनाने वाले देशो में नज़र आता है ! वरना वो और ज्यादा असुरक्षित हो जायेगा ! भारत के हर राज्य की पहचान भारत से है और भारत की पहचान उसके ‘सभी राज्यों से है’ ! कश्मीर के कुछ लोग धारा ३७० के कारण शायद स्वयं को पराया महसूस करते है परन्तु ऐसा वहा की स्थानीय परिस्थितियों के कारण ही है अगर वो अलग होता तो हम कैसे भारत माता के मुख के स्थान पर j&k को रखते !…….वहीँ कुछ गुटों की इच्छा है की कश्मीर का विलय पाक में हो जाये तो बहुत ही कम शब्दों में हम कहेंगे की जो देश स्वयं दूसरो के रहम पर पल रहा है वो और क्या भार उठाएगा ! भारत में आंतरिक जितनी भी समस्याए हो वह स्वयं निपटा है किसी के दान का इंतजार नही करता और अगर कभी क़र्ज़ लेता भी है तो उसका प्रयोग यथा स्थान ही करता है !
एक आज़ादी हमने बंगलादेश को भी दिलवाई थी आज आलम ये है की उनकी आधी के करीब जनसँख्या हमारे यहाँ घुसी बैठी है और वो देश इसलिए नही बुला रहा है क्योकि शायद उसकी उन्हें पलने की शमता नही है ! अगर बंगलादेश भारत में ही रहता तो इतनी चिढ घुसपैठिये बग्लादेशियो से नही होती जितनी आज होती है !
भारत , भारत इसलिए है क्योकि २८ राजज्य और ७ केंद्र शासित प्रदेश इसके अंग है इनमें से एक की भी कमी से भारत की पहचान अधूरी रहती है ! जो लोग भारत में रहते हुए भी देश के खिलाफ बयानबाज़ी देते है उनके लिए सज़ा का प्रावधान किया जाये ! अगर देश में अभिव्यक्ति की स्वत्रंता है तो कुछ उपरोक्त वर्णित कर्तव्य भी है ! कर्तव्यों को नैतिक से कानूनी कर्त्तव्य बनाया जाये ताकि ऐसे लोग दण्डित हो सके ! ‘वह ह्रदय नही पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नही’ !
……………….भारत का नमक खाने वाले इस तरह की बाते करके अपने को elite group में शामिल होने का दिखावा न करे ! J & K हम सब के लिए क्या महत्व रखता है ये उन लोगो से पूछे जो वहा से पलायन करके भारत के अन्य भागो में बस रहे है , ये उन सैनिको से पूछे जो आतंकवादियों की गोली खा कर भी उनको देश से खदेड़ते है , ये उन युवा सैन्य अधिकारियो के घर वालो से पूछे जो next छुट्टी में उनका घर बसाने की योजना बनाये बैठे होते है और उससे पहले ही उनकी अन्त्यतेष्टि कर रहे होते है !
स्वयं तो सुख-सुविधा में और सुरक्षित बैठे है, तो वो कैसे देश की सुरक्षा में बैठे लोगो का खून – पसीना समझेंगे ! कुछ नही कर सकते है उनके लिए तो कृपया इतना कीजिये की इस तरह की बाते करके उनका मनोबल न गिराइए और देश से गद्दारी मत कीजिये !

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