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बीजेपी की लाल चौक यात्रा पर इतनी रूकावटे डाली जा रही है की हमे लग रहा है जैसे १९४७ के पहले का समय वापस आ गया है ! जैसे अंग्रेज देश का ध्वज फहराने नही देते थे , जो ऐसा करता था उसे दण्डित करते थे ! कुछ वैसा ही आलम आज कश्मीर में दिख रहा है ! ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोई गैर क़ानूनी , अनैतिक , देश के खिलाफ कार्य हो रहा है !
स्थानीय सरकार को लगता है की ऐसा होने से शांति भंग होगी , वहां का माहौल बिगड़ेगा ! इतना डर !! यह डर वोट कटने का तो नहीं ? जब मुख्य स्थान पर बैठे लोग ऐसा कर रहे है तो इसका अर्थ , वहा पर अशांति में सहयोग देने वाले यही लायेंगे , की जो वो करते है वो सब उचित है ! मानसिक रूप से , मन से, उनकी सोच, ‘भारत विरोधी’ स्वीकार कर ली गयी है !
कितने लालची होते है राजनीतिज्ञ वो यह नहीं सोच रहे , देश में ही देश को सम्मान न देने पर बाकि का भारत क्या सोचेगा ? कश्मीर में जो नयी पीढ़ी है वो भी यही महसूस करेगी की ‘ हाँ , हम भारत से अलग है ! ‘ , अन्तराष्ट्रीय स्तर पर क्या सन्देश जायेगा की जिस देश के अपने राज्य में अपना ध्वज नहीं फहराया जा रहा है वह वास्तव में उनका नहीं है , उन सैनिको का क्या जो अपनी युवावस्था में ही परमगति पाते है, उस हिस्से को भारत विरोधी लोगो से बचाने के लिए ! जब भारत में ही भारत के सम्मान की रक्षा जो लोग नहीं कर पा रहे है वो बाहरी दुश्मनों से भला कैसे निपटेंगे ?
हमारे पास एक एक mail आई थी जो बहुतो के inbox में होगी जिसमें कश्मीर में तिरंगे का अपमान करते हुए लोगो को दिखाया गया है तथा राजनीतिज्ञों की निष्क्रियता पर सवाल उठाये थे ! उनमें से कुछ-
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बीजेपी की यह यात्रा शायद राजनीति से प्रेरित हो पर हमे थोड़ी शांति मिली की तिरंगे को सम्मान दिलाने के लिए उन्होंने कुछ किया !
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