- 63 Posts
- 490 Comments
आज के समय हम, जैसे राजनेता की इच्छा रखते है उस कसौटी पे ओबामा खरे उतरते हुए हमे लगे ! आज हमारे यहाँ भी एक ऐसे ही ध्रर्ण निश्चयी नेता की ज़रूरत है ! अमेरिका जिस बात पे इतराता रहा है खुद पर के वो न. १ शक्ति है तो उसने खुद को साबित भी कर दिया ! दूसरे देश में जा के कुछ मिनट में ही सफलता पाई जो सोचा जैसा सोचा सिर्फ अपनी ‘हाँ’ सुन के पा लिया ! ये पूरा ऑपरेशन उन्होंने स्वयं स्क्रीन पे देखा सारे रक्षा से सम्बंधित अधिकारी मौजूद थे ! वो सीन भी हमे बहुत ही amazing लगा ! मन में आया की काश ऐसा ही राजनेता हमारे यहाँ होता ! उन्होंने अपने यहाँ के हादसे में मारे गये लोगो का सारा बदला ले लिया ! हमारे यहाँ के राजनेता खुद तो किसी भी तरीके से देश को मजबूत बना नही पाते है और जो फौजी इतने risk से देश की सुरक्षा करते है उनको भी मजबूत बना नही रहे है , सारा पैसा सिर्फ खुद गबन किये जा रहे है ! सब कुछ देख कर भी देश का पैसा खाने वालो पर सख्त एक्शन नही हो रहा है ! अमेरिका तो दूसरे देश में जाके बाज़ी मार आया और हमारे यहाँ कसाब और अफज़ल गुरु साफ दोषी होके भी , हमारे यहाँ ही रह के मज़े से रोटिया तोड़ रहे है !
…. हमारे मन में प्रश्न उठा के ‘ क्या हमारे राजनेता भी इतनी शिद्दत से ऐसे किसी मसले से निपटते? ‘ जैसे ओबामा ने किया उत्तर में कोई उदहारण नही दिखा ! फिर सोचा के चलो अच्छा next प्रश्न ‘ कोई मजबूत इच्छा शक्ति वाला नेता है जिससे हम ऐसी उम्मीद कर सकते है’ तो सोचने पर अटल जी का चेहरा बस नज़र आया क्योकि परमाणु परीक्षण करके उन्होंने हमारे देश को एक आत्मबल दिया था ! पर अब वो राजनीति में नही है तो कोई और ??? जवाब आया अरे किसी के अजेंडे में ऐसी बाते होंगी तभी तो कोई प्रयास करेगा भारत में इतनी सारे राजनितिक दल है और सबके मुद्दे इतने घटिया स्तर के .. सिर्फ धर्म और जाति इसके अलावा किसी को कुछ नही नज़र आता ! अगर ये सारा seen यहा होता तो क्या होता पहली बात कोई प्लानिंग गुप-चुप तरीके से हो ही नही पाती पहले ही पूरे भारत में किसी न किसी source से पता चल जाता , विरोधी दल ‘जहा न पहुचे रवि , वहां पहुचे कवि’ के तर्ज़ पर उस मुद्दे को कोई शक नही के धर्म से ज़रूर जोड़ते और वोट बनाने का मौके पर देश को किनारे कर हाथ साफ करते , मुद्दे पर संसद में बहस होती फिर कीचड़ उछालने का दौर शुरू होता ,, मौका मिलते ही फिर से धर्म की राजनीति पे हाथ सेकने की होड़ लगती , सभाए होती , धरना होता और कुछ इसी तरीके से बात कही शुरू होकर कही खत्म हो जाती ! सत्ता पक्ष वोट न खो जाये इस लिए ऐसे विचार को ठन्डे बसते में डाल देता ! सत्ता और गद्दी के आगे सब कुर्बान है हमारे राजनेताओ के लिए !
Read Comments