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अन्ना vs मनमोहन सिंह

My Thought
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१९६६- आयोग गठित – १९६८ संसद में सिफारिश गयी -> १९७० संसद भंग
१९७१- दुबारा संसद में प्रस्तुत – सरकार व विपक्ष में मतभेद -> पारित नहीं
१९८५ – संसाद में प्रस्तुत -> १९८९ तक टलता रहा तथा कानून नही बना
१९९० – विधेयक पारित -> सरकार के साथ गया

ये क्रम आज भी चला पर सोच से परे ज्वलंत ! सरकार को अचम्भा भी हुआ और सामान्य जनता के अकल्पनीय जोश को देख कर हैरत और घबराहट भी , घबराहट इसलिए क्योकि अनर्गल बयानबाजी ये बात साफ़ जाहिर कर रही थी ! सामने वाले की छवि धूमिल करने के लिए खुद को ही घटिया साबित किया ! मनमोहन जी RBI गवर्नर व Finance मिनिस्टर रह चुके है , पर उनके दब्बू वयक्तित्व को देख कर आश्चर्य होता है की वे वहां तक पहुचे कैसे ? हमारे एक सर MMS जी के प्रशंसक थे उन्होंने बताया था ‘ मंदी तो कुछ समय में आती ही रहती है PM का दोष नही उन्होंने अर्थव्यवस्था मजबूत रखी ! ‘ हमने भी एक उसूल बना रखा है कि कभी एक पक्षीय हो कर कोई विचार न बनाने का , इसलिए हम पक्ष – विपक्ष दोनों सोच कर ही कुछ विचार रखते है ! चुकी MMS जी इतने अच्छे पद, RBI गवर्नर रह चुके है, Finance Minister,रह चुके है तो इनमें कुछ बात तो होगी ही जो वो वहां तक पहुचे है , पर क्या बात खास थी? इतने साल से हम समझ नही पाए ! हमे पता है कि यहाँ कुछ ब्लॉगर तो MMS जी के + points तो जानते व समझते ही होंगे तो कृपया ऐसे लोग हमें अपने विचार दे कर से हमारे विचारो को और विस्तृत करे ! हमने कई समय से उनके + points को ढूँढने कि कोशिश कि तो एक बात ही हमे समझ आई थी कि वो एक ईमानदार व्यक्ति है और जो ईमानदार होते है उनका चरित्र्र भी अच्छा होता है ! पर …. CWG; & 2G कांड से तो कुछ और ही कहानी बयां होती है ! CWG & 2G इतने बड़े घोटाले जिनसे पूरा देश हिल गया ! MMS के पास ले – दे के एक ही अच्छाई थी वो थी उनकी ईमानदारी ! कुछ साबित नही हुआ है, ए. राजा द्वारा PM को शक के दायरे में लाना ये बात साबित नही करता है कि वो बेईमान है पर क्या ये संभव है कि जिस कार्य में PMO संलग्न था , वहां PM को कुछ पता न हो ? CWG कि बात करे तो केंद्र शासित प्रदेश , भारत कि राजधानी में इतना बड़ा आयोजन जिसे चाहे तो अन्य देशो से मैत्री सम्बन्ध बनाने का एक माध्यम भी समझा जा सकता है ऐसे आयोजन को PM कि एक नज़र आवश्यक नही थी ? चलिए मान भी ले कि PM एक व्यस्त व्यक्ति होता है वो कहाँ कहाँ तक देखे पर यदि कोई CWG जैसे महा आयोजन में अनिमियतताओ कि विस्तृत व तार्किक जानकारी PMO में देता है तो क्या तब भी PM नही देखेगा ?? आखिर PMO PM का ही office है ! 2G में भी मनमर्जी चली और PM कि निगरानी में हो कर भी वो बात PM ने नही देखी ! अब कहाँ तक और कैसे सोच ले के कि PM साफ़-सुथरे है ! वो सीधे -साढ़े है तो ये मान भी ले कि उन्होंने ध्यान नही दिया पर बात तब भी हजम नही होती … सीधे -साढ़े तो अन्ना भी है पर क्या वो अपना विवेक , समझ , दृढ़ता कहीं भूले है ……… ??? नहीं ! उनका चरित्र्र ही ऐसा कोरा , साफ़ , व सच्चा है कि उनकी बात मानने का मन करने ही लगता है ! जन लोकपाल में न्यायलय को शामिल करने पर हम भी सहमत नही है पर अन्ना के प्रयत्नों व उनके सर्वजन सुखाये , सर्वजन हिताय कि सोच व प्रयासों पर हम नतमस्तक है ! आज एक ७२ साल के व्यक्ति के जोशीले विचार कितने करोड़ को प्रभावित किये है ये एक मिसाल है एक व्यक्ति बिना अन्न खाए इतने दिनों से डटा हुआ है और सरकार सारी दुष्टताओ कि सीमा पार किये हुए है ! वादा करना व मुकरना ये साबित करता है कि कितने स्वार्थी व अभिमानी लोग सत्ता में है ! अरे माना कि सारी बाते नही मानी जा सकती पर जो मानी जा सकती है उन्हें तो मान लो ! स्वयं का ड्राफ्ट जन लोकपाल से एक दम ही परे कर रखा है अगर जनता जन लोकपाल के साथ है तो स्वाभाविक ही है के वो जन लोकपाल उनकी उम्मीदे पूरी करता है हम समझते है कि जितने लोग प्रोटेस्ट कर रहे है उन में से हर कोई पूरी तरीके से इन दोनों को नही जानता है वो बस खिचा चला आया है ये सोच कर के शायद ऐसे उनका जीवन का कठिन सफ़र थोडा आसान होगा . पर बहुत प्रतिशत लोग इसके जानकार है ! कुछ सरकार के बंदे कहते है कि डमरू बजाने से भी ऐसी भीड़ इकट्ठी हो जाती है तो हम कहना चाहेगे कि क्यों न वो डमरू बजाये और देखे कि उनके लिए कितने लोग आगे आते है ! वोट मांगते समय इतना जनता का महत्व बताया जाता है और जब वही जनता कुछ logic लगाती है तो कहा जाता है कि उसे समझ नही है ! कोई व्यक्ति देश हित में अपना जीवन दांव पर लगा रहा है और उन्हें पहले चरम के अपमान के बाद मक्कारी भरा व्यवहार दिखाया जा रहा है ! इन सबके बीच जो supreme power PM है वो ऐसा निष्क्रिय है जैसे वो PM नही PMO कार्यालय में कार्य करने वाला कोई छोटा – मोटा कर्मचारी है ! हर देश में PM या राष्ट्रपति में से एक व्यक्ति देश में मुखिया का रोल निभाता है ! हमारे देश में वो भूमिका PM कि है ! हमेशा PM सशक्त या कहे कि सक्रिय रहा है पर मनमोहन जी जैसा तो कोई नही ! जब पार्टी अन्ना जी पर कीचड़ उछाल रही थी तो MMS जी को कोई आवश्यकता नही लगी अपने लोगो को रोकने कि जब राहुल गाँधी आये तो पार्टी के लोग चुप हुए ! आज MMS जी का कर्त्तव्य है कि जल्द से जल्द इस विषय पर कोई सार्थक कदम उठाए , कुछ निर्णय ले ! पन्ने का एक- एक शब्द जोड़ कर बोलने वाले PM से कोई उम्मीद लगाना बेकार है की वो जनता के मन की आवाज़ सुनेगे ! जब वो कुछ बोल रहे होते है तो कभी-कभी मन करता है कि उनके हाथ का पन्ना छीन ले और कहे अब बोलिए … वो बोलिए जो आपकी बुद्धि कहती है … पर उनके जैसे वयक्तित्व वाले व्यक्ति को देख कर शक होता है कि वो कुछ सोचते भी है कि नही ! plus – minus के आलावा भी क्या उन्हें कुछ आता है ? पता नही कब कोई अन्ना जैसा व्यक्ति P . M पद पर बैठ कर उसकी गरिमा बढ़ाएगा ? लोग कहते है कि अन्ना अपने 5 पांडव के अनुसार सोचते है पर अगर ये 5 धुरंदर न होता तो पता नही सीधे – सच्चे अन्ना को और कितना कष्ट दिया जाता ! आज क समय में जो व्यक्ति के गुणों को असंभव समझ जाता था कि आज वैसा कोई नही संभव , ऐसा व्यक्ति तो कल्पनाओ में ही हो सकता है अन्ना जी ने उनको बताया है कि व्यक्ति – व्यक्ति कि बात है … जो जैसा होता है उसे दुनिया वैसी ही लगती है अभी भी आदर्श व्यक्तित्व वाले लोग है ! उन्होंने आज एक अनुकरणीय आदर्श हम युवाओ को दिया है !

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