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वोटो के साथ ही दागदार विधायको में भी सपा का ही पलड़ा भारी है Jagran Junction Forum

My Thought
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समाजवादी पार्टी के जीतने का अनुमान बिलकुल नही था वो बी इतने भारी बहुमत से तो कदापि नहीं पर ऐसा हुआ ! इसका कारण बहुत कुछ हाल ही में हुए कुछ आंदलनो का परिणाम लगता है दो लोगो की बहस में तीसरे ने फायदा उठा लिया ! कांग्रेस का न जीतना उसके हाल ही की गयी चोरी और सीनाज़ोरियो का परिणाम है , बीजेपी का न जीतना उसमें एक सशक्त और किसी युवा नेता का न होना माना जा सकता है , bsp के हार का कारण उस में मायावती के अलावा किसी अन्य चुनाव प्रचारक की कमी लगता है ! लेकिन निजी तीव्र इच्छा ये ही थी की कोई भी जीते पर सपा न जीते क्यों ?? क्योकि दागदार विधायको में भी सपा का ही पलड़ा भारी रहा है , हाल ही की रिपोर्टो के हिसाब से भी –>
सपा – 111
बसपा – 29
बीजेपी – 25
कांग्रेस – 13
ये अनुपात है “सिर्फ” up के नव निर्वाचित विधयाको का है , यानी पिक्चर अबी बाकी है , पता नही कितने और लाइन में होंगे ? अन्य पार्टियों को मिला कर दागी विधायको का कुल योग 189 है ! 98 गंभीर अपराधो में लिप्त है !
मौजूद आकड़ो के अनुसार सर्वाधिक अपराधी सपा में ही है अगर सपा अपराधियों से परहेज़ करती तो संख्या ये न होती ! इन सपा क विधायको में हत्या क मामलो में 18 लिप्त है और हत्या के प्रयासों में 61 लिप्त है ! हत्या के मामलो व हत्या के प्रयासों में सपा का ही झंडा बुलंद है ! अगर वास्तव में सपा अपराधिक छवि से परहेज़ करती तो तस्वीर ये न होती ! कथनी और करनी में इतनी विभिन्नता ?? अखिलेश जी ने पहले ही संवादता सम्मलेन में अपराध के खिलाफ कड़े रुख की बात कही पर जो ये आकडे है वो तो कुछ और ही बयां करते है ! जब ऐसे अपराधिक लोगो को मंत्री बनाया जायेगा तो कैसे यकीन कर ले की वो विभाग अपने कर्तव्यो का निर्वहन करेगा ! इतने शरीफ होते तो वो ऐसे केस, वो भी प्रतेक पर इतने सारे , न दर्ज होते ! ऐसे मंत्री तो जो भी आदेश देंगे उन्हें मानना कर्मचारियों का फ़र्ज़ नही बल्कि मजबूरी होगी ! जो विधायक जी शपथ ग्रहण की तैयारियों का जायजा ले रहे है वो स्वयं कितने अपराधो में लिप्त रहे है ! सरकार बनते ही सपा क लोगो द्वारा की गयी मनमानी इस बात के संकेत देती दिखी के अभी तो शुरुआत है १ सपा मुखिया के जो अजीज़ है उनकी छवि तो माशाअल्लाह है! कुछ सपा सलंग्न लोगो के नाम भी सुने है जो कई बार बड़े स्तर की परीक्षा नक़ल करवाते है वो भी रसूख के कारण , सबूत नही तो नाम क्या बताये यहाँ !
सर्वप्रथम इस चुनाव विजय की खबर को सुनकर ये ख्याल आया के अब तो ल. वि. में जल्द ही चुवाव शुरू हो जायेंगे ! छात्र संघ एक ऐसा संघ या समूह है जो अन्य विद्यार्थियों की मदद के लिए बनाये जाते है , उनकी आवाज़ बनने में काम आते है , परेशान छात्रों को दिशा देते है ! पर अपना अनुभव कहता ये है की उफ़.. अब नयी रंग रोगन दीवारों पर पान की पीके फिर से नज़र आएँगी कोई जो रोकेगा उसे ठोका जायेगा , अब फिर से कैम्पस में माइकल शुमाकर के जैसे गाड़िया दौड़ेंगी बच सकते हो तो बच लेना , कोई अध्यापक पिटते हुए नज़र आ जाये तो आश्चर्य मत समझना , अब जो कभी वि. वि. नहीं आते है वो भी अच्छे न, से पास होते दिखेंगे शायद self study ज्यादा होने लगती है , कैंटीन आखाडा बन जाएगी ! और ऐसा होने में ज्यादा दिन नही बचे है आज वि. वि. में मिलन समारोह देख के ही आये है , जो देख के छात्र जैसा आभास नहीं करवाते ऐसे लोगो का समूह देख के आये है जो आगे भी देखने को मिलेंगे ! १-२ बार दो-चार हो चुके है इन वि. वि. के “छात्रों” से, अब दोबारा वो दिन देखने से पहले pass out हो जाना चाहते है ! पर वि. वि. से निकल कर तो दुनिया और भी बड़ी हो जाएगी तो उनसे कैसे निपटेंगे??? पर हो सकता है तब तक युवा नेता अखिलेश जी शायद कुछ नवीन सकारात्मक परिवर्तन ले आये ! उम्मीद पे तो दुनिया कायम है !

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