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तुमने मुझे अनोखी सी खुशिया दी , पर जैसी भी दी उसका शुक्रिया !
तुमने मुझे समझदार से बचकाना बनाया , पर जो भी किया उसका शुक्रिया !
तुमने मुझे मेरे ही एक अनछुए पहलु से तारुफ़ कराया , जिसके लिए तुम्हारा शुक्रिया !
तुमने मुझे कल्पनाओ की दुनिया में पहुचाया , फिर मेरी वास्तविकता से मिलवाया , उसका भी शुक्रिया !
तुमने मुझे अनजाने में ही सही मुझे आइना दिखाया , उसका शुक्रिया !
तुमने मुझे छुप कर रोने की एक और वजह दी , उसका भी शुक्रिया !
तुमने मुझे पहचान कर भी नही पहचाना , उसका भी शुक्रिया !
मैंने बिन कहे तम्हे बहुत कुछ समझाना चाहा , और तुमने सब कुछ समझ कर कुछ नही समझा , इसका शुक्रिया
तुमने मेरे खयालो में अपनी जगह बनायीं और मैंने तम्हे खयालो से निकालने के क्रम में खुद पर पकड़ बनायीं , उसका शुक्रिया !
तुमसे झगडा करके तुम्हे मनाने से मैंने अपने में एक नयी परिपक्वता पाई , उसका शुक्रिया
तुमसे कोई सम्बन्ध न बनाकर भी मैंने संबंधो की समझ पाई . उसका शुक्रिया !
तुमने मुझे जाने- अनजाने अपमानित करके मुझ में और चमक बढाई , उसका शुक्रिया !
तुम्हारे दंभ से लड़ कर मैंने नित नयी सीख पाई , उसका शुक्रिया !
तुम्हारी १०० कमियों के कारण मैंने तुमसे रोज़ नफरत करी , पर तुहारी १० अच्छाइयो से मैं हर बार हारी , उसका शुक्रिया ,
मैंने नफरत करके भी अच्छाइयो को नही भुलाया , अपनी इस खूबी से परिचय भी तुमने ही तो करवाया , उसका शुक्रिया !
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